Biography on mahatma gandhi in hindi

Autobiography of Mohandas Karamchand Gandhi | Insights on Truth, Self-Realization and Ethical Living Hindi Edition | by MAHATMA GANDHI | 1 January 2020.

महात्मा गाँधी की जीवनी और इतिहास, आन्दोलन, शिक्षा और संघर्ष | Mahatma Gandhi Biography [Birth, Family, Education], Revolutions, Death in Hindi

अहिंसा परमो धर्म. यदि इस श्लोक की व्याख्या किसी की जीवन से निकालना हो तो हमे भारत के राष्ट्रपिता के रूप में संबोधित होने वाले महात्मा गांधी के जीवन को देखना होगा.

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मोहन दास करमचंद गांधी उर्फ महात्मा गांधी का जीवन दर्शन यह सिखाता है कि कैसे अहिंसा के सहारे हम अत्याचार के खिलाफ आवाज उठा सकते है. महात्मा गांधी ही वह पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने पूरी दुनियाँ को न सिर्फ अहिंसा का पाठ सिखाया, बल्कि अहिंसात्मक आंदोलनों में निहित शक्ति का भी परिचय कराया.

महात्मा गांधी के जीवन से जुड़े कुछ तथ्य

बिंदु(Points)जानकारी (Information)
नाम(Name)मोहनदास करमचंद गांधी
जन्म (Birth)2 अक्टूबर 1869
पिता का नाम (Father Name)करम चंद गांधी
माता (Mother Name)पुतली बाई
पत्नी (Wife Name)कस्तूरबाई माखंजी कपाड़िया (कस्तूरबा गांधी)
जन्म स्थान (Birth Place)पोरबंदर, गुजरात
शिक्षा (Education)बैरिस्टर
संतान (Childrens)4 पुत्र (हरिलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास)
मृत्यु (Death)30 जनवरी 1948

महात्मा गांधी का जन्म और प्रारंभिक जीवन (Mahatma Gandhi Birth and Intial Life)

महात्मा गांधी का जन्म भारत के पश्चिमी राज्य गुजरात के पोरबंदर क्षेत्र, काठियावाड़ में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था.

इनके पिता करमचंद गांधी और माता पुतली बाई थी. करमचंद गांधी राजकोट के दीवान थे, जबकि इनकी माँ एक गृहणी थी. गांधी जी के प्रारंभिक जीवन में उन पर माँ का गहरा प्रभाव पड़ा. पुतलीबाई एक बहुत ही सात्विक और धार्मिक गृहणी थी. अधिकतर समय उनका पूजा पाठ और भगवत भजन में व्यतीत होता था.

Mahatma Gandhi Biography In Sanskrit - Hindi Biography Blog आज हम इस आर्टिकल में आपको महात्मा गांधी की जीवनी- Mahatma Gandhi Biography Hindi के बारे बताएंगे।. Mahatma Gandhi जी भारत और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे और वे सत्याग्रह के माध्यम से प्रतिकार के अग्रणी नेता थे।. उनकी इस अवधारणा की नींव संपूर्ण अहिंसा के सिद्धांत पर रखी रखी गई थी।.

माता की इस छवि का प्रभाव गांधी जी के जीवन मे भी देखने को मिलता था. सत्य-असत्य, धर्म-अधर्म जैसे गूढ़ विषयों पर महात्मा गांधी की बचपन से ही समझ बनने लगी थी. गांधी जी का जिस क्षेत्र में बचपन बीता, वहाँ जैन समुदाय का ज्यादा प्रसार था. बस यही कारण था कि महात्मा गांधी पर जैन संस्कारो का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा. सत्य, अहिंसा, उपवास, शाकाहारी जीवन पद्धति का पाठ इन्होंने यहीं से सीखा.

महात्मा गांधी की शिक्षा (Mahatma Gandhi Education)

गांधी जी की प्रारम्भिक शिक्षा इनके गृह नगर पोरबंदर में ही हुई थी.

इन्होंने अपनी मिडिल स्कूल तक की शिक्षा पोरबंदर से ही ग्रहण की. इसी दौर में इनके पिता को राजकोट का दीवान घोषित कर दिया गया, जिसकी वजह से परिवार को राजकोट में आकर रहना पड़ा. मिडिल स्कूल के बाद की शिक्षा इन्होंने राजकोट से ही प्राप्त की. यदि इनके छात्र जीवन की बात करें तो गांधी जी कभी भी एक उत्कृष्ट विद्यार्थी नही रहे. वो एक साधारण स्तर के एक ईमानदार विद्यार्थी थे, जिन्हें परीक्षा में फेल हो जाना मंजूर था, लेकिन वो नकल नही करते थे.

गांधी जी ने अपनी हाई स्कूल की परीक्षा राजकोट से ही उत्तीर्ण की. 1887 में गांधी जी ने मैट्रिक की परीक्षा राजकोट से ही उत्तीर्ण की, इसके बाद वो भावनगर में स्थित सामलदास कॉलेज गए, लेकिन स्वास्थ्य सही न रहने के कारण इन्हें वापस पोरबंदर लौटना पड़ा.

लंदन में उच्च शिक्षा (Mahatma Gandhi Betterquality Education)

गांधी जी को वकालत करनी थी.

इसके लिए गांधी जी को इंग्लैंड जाना था. लेकिन पुतली बाई इस बात के लिए तैयार नही थी. उनका ऐसा मानना था, की इंग्लैंड की सभ्यता, अपने देश की सभ्यता के विपरीत है. वहाँ जाकर मोहनदास बिगड़ जाएँगे और मांस, मदिरा जैसी चीज़ों का सेवन करने लगेंगे. लेकिन गांधी जी ने अपनी माँ की चिंता और मनोदशा को समझा, और उन्हें निश्चिन्त रहने के लिए कहा.

साथ ही अपनी माँ को यह वचन दिया कि वो कभी भी मदिरा पान नही करेंगे, मांस का सेवन नही करेंगे और वो जैसे जा रहे है वैसे ही वापस आएंगे.

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  • गांधी जी के इस वचन के बाद उनकी माँ ने उन्हें इंग्लैंड जाने की अनुमति दी. आखिरकार 4 सितंबर 1888 को यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में कानून की लड़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए.

    गांधी जी का लंदन का अनुभव (Mahatma Gandhi London Experience)

    कानून की पढ़ाई और बैरिस्टर बनने की चाह लेकर आये मोहनदास करमचंद गांधी को प्रारंभ में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

    गांधी जी शुद्ध शाकाहारी थे. वो मांस का सेवन नही करना चाहते थे. पर उस जमाने मे इंग्लैंड में शाकाहारी भोजन ढूंढना एक बहुत बड़ी चुनौती थी. इसी चुनौती से निपटने के लिए गांधी जी ने शाकाहारी समाज में सदस्यता के लिए आवेदन किया, जो न सिर्फ स्वीकार हुआ, बल्कि गांधी जी को कार्यकारी समूह का सदस्य चुना गया. इस दौरान गांधी जी की कई शाकाहारी लोगो से मुलाकात हुई.

    इन्ही लोगो ने गांधी जी को भागवत गीता पढ़ने के लिए कहा. इंग्लैंड मे कुछ वर्ष बिताने के बाद गांधी जी को वापस भारत आना पड़ा.

    महात्मा गांधी का प्रारंभिक कैरियर (Mahatma Gandhi Career)

    यहाँ आकर उन्होंने मुम्बई में अपने वकालत की शुरुआत की, लेकिन इसमें कोई खास सफलता न मिलती देख उन्हें वकालत का काम बीच मे ही छोड़ना पड़ा.

    इसके बाद उन्होंने एक अध्यापक के पद के लिए आवेदन किया, लेकिन वह भी अस्वीकार कर दिया गया. इसके बाद उन्होंने राजकोट में ही काम करने का निश्चय किया. यहाँ पर वो मुकदमे की अर्जियाँ लिखते थे.

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    गांधी जी का अफ्रीका प्रवास (Mahatma Statesman in Africa)

    गांधी जी जब 24 वर्ष के थे, तब उन्हें अफ्रीका के एक व्यापारी अब्दुला का कानूनी सलाहकार बनने का अवसर मिला.

    इसके लिए गांधी जी को भारत छोड़कर अफ्रीका जाना पड़ा. उस वक़्त अफ्रीका में भी इंग्लैंड का शासन था. वैसे तो कई भारतीय अफ्रीका गए थे, लेकिन उन्हें एक मजदूर के रूप में काम करने के लिए भेजा गया था. गांधी जी पहले भारतीय बैरिस्टर थे, जो अफ्रीका गए थे. यहाँ आने के बाद गांधी जी को भारतीयों के साथ होने वाला भेदभाव दिखा. रंगभेद के आधार पर भारतीयों पर होने वाले जुल्म ने गांधी जी को अंदर तक झकझोर दिया था.

    यहां पर गांधी जी के साथ भी रंग भेद हुआ. उन्हें रंग भेद के कारण चलती ट्रेन से उतार दिया गया. कहते है, इस घटना ने गांधी जी के पूरे जीवन को ही बदलकर के रख दिया. इस घटना के बाद गांधी जी ने अफ्रीका में रह रहे भारतीयों को न्याय और सम्मान दिलाने का निश्चय किया.

    अफ्रीका में भारतीयों के लिए संघर्ष (Mahatma Solon Struggle for Indians)

    प्रारंभिक संघर्ष के तौर पर गांधी का रूख नरम रहा.

    भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव के विषय मे वो गृह सचिव और ब्रिटिश संसद में याचिकाएं भेजते रहे. पर इन याचिकाओं का कोई असर होता न देखकर महात्मा गांधी ने नटाल भारतीय कांग्रेस का गठन किया, जो भारतीयों का एक संगठन था.

    इसी के साथ ही इंडियन ओपिनियन नाम का अखबार भी निकलवाने लगे. सन 1906 में गांधी जी ने एक आंदोलन शुरू किया, जिसे सत्याग्रह नाम दिया गया.

    यह एक अवज्ञा आंदोलन था. इसके साथ ही सत्याग्रहियों के रोजगार और रहने की समस्या के समाधान हेतु गांधी जी ने टाल्सटाय फार्म की स्थापना की. इस आंदोलन के बाद ही गांधी जी को इस बात पर यकीन हो गया था कि दुश्मनों को हराने का और अपनी मांग पूरी करवाने का एक रास्ता अवज्ञा आंदोलन भी हो सकता है.

    महात्मा गांधी का अफ्रीका से भारत आगमन (Back to Nation)

    महात्मा गांधी अपने काम से अफ्रीका में बहुत ख्याति बटोर चुके थे.

    आखिरकार सन 1915 में 46 वर्ष की उम्र में गांधी जी पुनः भारत वापस आये.

    Mahatma gandhi autobiography in hindi pdf महात्मा गांधी जी ने स्वाधीनता संग्राम में जिस प्रकार अपनी भागीदारी सुनिश्चित की थी वह सराहनीय है। उनके सराहनीय कार्य को पूरे देश ने समर्थन किया था, छोटी सी कद-काठी और साधारण वेशभूषा वाले इस महान व्यक्ति ने भारत देश में अपने जड़ जमा चुके अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकने का कार्य किया था। अनेकों ऐसे सफल आंदोलन जिसने अंग्रेजी हुकूमत की नींव को हिला.

    इस दौरान गांधी जी का बहुत गर्मजोशी से स्वागत किया गया. अपने देश मे भी गांधी जी कुछ बड़ा करने की चाह लिए हुए थे. लेकिन पुरे भारत के आर्थिक और सामाजिक स्थिति का उन्हें बेहतर ज्ञान नही था. इसलिए उस वक़्त के एक बड़े कांग्रेसी नेता और गांधी जी के राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले के कहने पर गांधी जी ने पूरे एक साल तक देश के हर एक हिस्से का भ्रमण किया और देश की स्थिति को बेहतर तरीके से समझा.

    महात्मा गांधी के आरंभिक आंदोलन और उनकी स्थिति (Champaran Satyagraha)

    महात्मा गांधी ने अपने देश मे पहला सफल आंदोलन चंपारण में किया.

    B. R. Ambedkar मोहनदास करमचंद गांधी, जिन्हें महात्मा गांधी के नाम से अधिक जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अद्भुत नेता थे। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के छोटे से शहर पोरबंदर में हुआ था, और उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था, जबकि माता का नाम पुतलीबाई गांधी था।.

    यह आंदोलन गांधी जी ने वहां के किसानों के हक में किया था. इस आंदोलन के द्वारा किसानों को 25% धन वापस दिलवाया. यह आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा किया गया प्रथम आंदोलन था. इसी समय एक और आंदोलन किया, जो गुजरात के खेड़ा जिले के किसानों के लिए था. यहां के किसानों को उत्पादन के बदले में बहुत कम हिस्सा दिया जाता था, ऊपर से बहुत ही कठोर टैक्स भी किसानों पर लगाये जाते थे, जिस कारण यहां के किसानों की स्थिति बहुत बिगड़ गई.

    इसी दौरान यहां अकाल पड़ गया, जिससे स्थिति और भी बिगड़ गई. इस पर गांधी जी ने खुद काम करना शुरू किया, और अंग्रेजों के सामने यह प्रस्ताव रखा कि जो किसान सक्षम है, वो खुद ही अपना कर अदा कर देंगे. बदले में गरीब किसानों का कर माफ किया जाए. यह प्रस्ताव अंग्रेजो ने स्वीकार कर लिया.

    महात्मा गांधी का असहयोग आंदोलन (Non-cooperation movement)

    जलियांवाला हत्याकांड से पूरे देश मे एक भयानक आक्रोश था.

    इसी के विरोध में देश मे कई हिंसक घटनाएं भी हुई. जलियांवाला हत्याकांड ने गांधी जी को भी पूरी तरह झकझोर दिया था. लेकिन इसके विरोध में वो हिंसा के बिल्कुल भी पक्षधर नही थे. उनका कहना था कि देश का हर पुरुष और स्त्री खादी काते और खादी के बने ही वस्त्र पहने. साथ ही जो भी लोग अंग्रेजो की दी हुई नौकरी कर रहे है.

    वो इस नौकरी को छोड़ दे. इस तरह से उन्होंने देश की जनता से यह आह्वान किया कि वो अंग्रेजो के प्रति विनम्र असहयोग की भावना रखे. धीरे-धीरे पूरे देश से असहयोग आंदोलन को सहयोग मिलने लगा. लेकिन चौरी-चोरा में हुई हिंसक घटना ने गांधी जी को यह आंदोलन वापस लेने पर मजबूर कर दिया.

    नमक आंदोलन (Salt March)

    मार्च 1930 में गांधी जी ने अपने कुछ अनुयायियों के साथ मिलकर इस आंदोलन को शुरू किया.

    इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य नमक पर अंग्रेजो द्वारा लगाए जाने वाले कर का विरोध करना था.

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    यह आंदोलन बहुत ही व्यापक और सफल भी रहा. अंग्रेजो ने इस आंदोलन के बाद 60,000 लोगो को जेल में डाला था.

    दलितों के लिए आंदोलन (Movements for Dalits)

    उस वक़्त हमारे देश मे छुआछूत एक प्रमुख समस्या के रूप में जानी जाती थी. धार्मिक स्थलों में दलितों का प्रवेश लगभग पूर्णतः वर्जित था.

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    यद्यपि दलित नेता और विद्वान डॉ भीमराव अंबेडकर ने कानून में दलितों के लिए कई कानूनी अधिकार दिए, लेकिन गांधी जी को यह काफी नही लगा. वो दलितों को भगवान की संतान के तौर पर देखते थे इसलिए उन्होंने दलितों तो एक नया नाम हरिजन दिया.

    देश के विभिन्न बड़े मंदिरों में गांधी जी ने यह संदेश दिया कि वह हरिजनों के मंदिर प्रवेश के संबंध में कोई निर्णय ले अन्यथा वो आमरण अनशन पर चले जायेंगे.

    तय समय के अंदर ही मंदिर के ट्रस्टियों ने दलितों को मंदिर में प्रवेश करने की इजाजत दी.

    भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement)

    द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान महात्मा गांधी ने अंग्रेजों से भारत छोड़ने के लिए एक आंदोलन की शुरुआत की जिसे “भारत छोड़ो आंदोलन” कहते है. यह एक बहुत ही ताकतवर और संगठित आंदोलन था.

    इस आंदोलन के दौरान हिंसा भी बहुत हुई. हजारों लोगों की जान इस आंदोलन में गई. हजारो की तादाद में लोग घायल हो गए थे. कई आंदोलनकारियों को बंदी बना लिया गया था. जिसमे महात्मा गांधी भी शामिल थे.

    महात्मा गांधी पुस्तकें pdf Mahatma Gandhi Biography In Sanskrit – महात्मा गाँधी भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक महान और प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। इनका जन्म 2 अक्टूबर, 1869, को पोरबंदर, काठियावाड़ (भारत के प्रान्त गुजरात) जगह पर हुआ था, इनके पिता का नाम करमचन्द गाँधी जो सनातन धर्म की पंसारी जाति से संबध रखते थे, और ब्रिटिश राज के समय काठियावाड़ की एक छोटी.

    इन्हें 2 साल तक कारावास में रखा गया. इस दौरान गांधी जी पत्नी कस्तूरबा गांधी का देहांत 22 फ़रवरी 1944 को हो गया, गांधी जी का स्वास्थ्य भी मलेरिया बीमारी की वजह से बहुत बिगड़ गया था. अंततः 6 मई 1944 को खराब स्वास्थ्य के चलते इन्हें जेल से रिहा किया गया. ब्रिटिश शासन नही चाहता था की गांधी जी की जेल में मृत्यु हो जाये, जिससे देश में आक्रोश पैदा हो.

    भारत की आजादी और देश का विभाजन (India Independance perch Partition)

    भारत छोड़ो आंदोलन की सफलता तो व्यापक नही थी, पर अंग्रेजो के द्वारा किये गए दमन से देश संगठित हो गया था.

    इसके बाद ब्रिटिश शासन ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह जल्द ही सत्ता भारतीयों के हाथो सौप देगा. इस दौरान कांग्रेस के प्रमुख नेता और गांधी जी के बीच कुछ मतभेदों का दौर भी चला. देश में उस दौरान कुछ ऐसी विपरीत परिस्थितियां निर्मित हो चुकी थी, जिससे हिन्दू और मुसलमान के बीच हिंसा बढ़ रही थी. 1948 तक देश के लगभग 5000 लोग को मौत के घाट उतारा गया. उसी दौरान देश मे विभाजन की लहर भी दौड़ रही थी.

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    पर महात्मा गांधी देश के विभाजन के सख्त खिलाफ थे. वही कांग्रेस के नेता मुहम्मद अली जिन्ना, बहुत से हिन्दू, मुस्लिम, सिख भी बंटवारें के पक्ष में थे. पर कांग्रेस को यह पता था कि गांधी जी के बिना यह संभव नही था. इसके लिए सरदार पटेल और गांधी जी के करीबियों ने यह समझाया कि इस युद्ध का अंत यही है.

    Mahatma gandhi biography book in hindi मोहनदास करमचन्द गांधी (२ अक्टूबर १८६९ – ३० जनवरी १९४८) जिन्हें महात्मा गांधी के नाम से भी जाना जाता है [20], भारत एवं भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। वे सत्याग्रह (व्यापक सविनय अवज्ञा) के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार करने के समर्थक अग्रणी नेता थे, उनकी इस अवधारणा की नींव सम्पूर्ण अहिंसा के सिद्धान्त पर.

    अंततः गांधी जी को मजबूर होकर विभाजन की सहमति देनी पड़ी.

    महात्मा गांधी जी मृत्यु (Mahatma Statesman Death)

    अहिंसा और सत्य के इस पुजारी की यह जीवन यात्रा 30 जनवरी 1948 को नाथू राम गोडसे के द्वारा समाप्त कर दी गई. लेकिन देश की आजादी में उनका योगदान हमेशा अमर रहेगा.

    महात्मा गांधी पर और भी रोचक जानकारियां उपलब्ध है किन्तु इस लेख में उन्हें लिखना संभव नहीं था.

    आपको आगे के लेखों में गांधी जी से जुडी रोचक जानकारियां अवश्य पढने को मिलेगी. पूरा लेख पढने के लिए धन्यवाद! लेख से जुड़े प्रश्न आप नीचे दिए कमेंट बॉक्स में पूछ सकते है.